
Hyderabad’s Falaknuma Palace (Image Credit-Social Media)
Hyderabad’s Falaknuma Palace (Image Credit-Social Media)
Hyderabad’s Falaknuma Palace: हैदराबाद, जिसे निज़ामों का शहर और मोतियों की नगरी कहा जाता है, अपनी समृद्ध संस्कृति, ऐतिहासिक धरोहर और शाही भव्यता के लिए मशहूर है। इस शहर का दिल है फलकनुमा पैलेस, जो न सिर्फ एक महल है, बल्कि एक ऐसी कहानी है जो समय की सीमाओं को पार करती है। फलकनुमा का नाम सुनते ही मन में एक शाही दुनिया की तस्वीर उभरती है, इटैलियन मार्बल की चमक, वेनेशियन झूमरों की रौनक और वह आलिशान अंदाज़ जो निज़ामों की जिंदगी को दर्शाता है।
फलकनुमा पैलेस का इतिहास
फलकनुमा पैलेस का इतिहास उतना ही रोचक है जितना इसका नाम। ‘फलकनुमा’ का मतलब है ‘आकाश का आईना’ या ‘जैसे आकाश’। यह नाम इस महल की भव्यता और इसकी ऊँचाई को पूरी तरह बयाँ करता है। यह महल हैदराबाद के पुराने शहर से 5 किलोमीटर दूर, कोहेतूर पहाड़ी पर 2000 फीट की ऊँचाई पर बना है। इसकी नींव 3 मार्च 1884 को रखी गई थी और इसे बनवाने का श्रेय जाता है नवाब सिर विकार-उल-उमरा को, जो उस समय हैदराबाद रियासत के प्रधानमंत्री थे और छठे निज़ाम, मीर महबूब अली खान के साले और मामा भी थे।

सपने से हकीकत तक नवाब विकार-उल-उमरा एक घुमक्कड़ शख्सियत थे। यूरोप की सैर के दौरान उन्होंने वहाँ की भव्य वास्तुकला को देखा और ठान लिया कि हैदराबाद में भी ऐसा ही एक महल बनवाएँगे। उनकी इस महत्वाकांक्षा ने फलकनुमा को जन्म दिया।
निर्माण की लागत इस महल को बनाने में 9 साल लगे और उस समय 40 लाख रुपये (आज के हिसाब से करीब 180 करोड़ रुपये) खर्च हुए। इतनी भारी लागत ने नवाब को कर्ज लेने के लिए मजबूर कर दिया और उन्होंने बैंक ऑफ बंगाल से लोन लिया।
निज़ाम का आकर्षण: 1897 में छठे निज़ाम, मीर महबूब अली खान इस महल में मेहमान के रूप में आए। उन्हें यह इतना पसंद आया कि नवाब ने परंपरा के अनुसार इसे निज़ाम को तोहफे में दे दिया। हालाँकि, निज़ाम ने इसे मुफ्त में लेने से इनकार कर दिया और इसके लिए मोटी रकम अदा की। इसके बाद यह महल निज़ामों का शाही मेहमानखाना बन गया।
वास्तुकला: यूरोप और भारत का अनूठा संगम

फलकनुमा पैलेस की वास्तुकला किसी जादू से कम नहीं। इसे ब्रिटिश आर्किटेक्ट विलियम वार्ड मैरेट ने डिज़ाइन किया था और इसकी बनावट में इटैलियन और ट्यूडर शैली का मिश्रण देखने को मिलता है। सबसे खास बात है कि यह महल एक बिच्छू की आकृति में बना है, जिसमें दो पंख (wings) उत्तर दिशा में फैले हैं और गोल बंगला इसकी पूँछ की तरह दिखता है।
-इटैलियन मार्बल का जादू: पूरा महल इटैलियन मार्बल से बना है, जो रात में चाँदनी में हीरे की तरह चमकता है। इसकी दीवारें, फर्श और सीढ़ियाँ इस मार्बल की शोभा को और बढ़ाते हैं।
– वेनेशियन झूमर: महल में 40 वेनेशियन झूमर हैं, जो मुख्य हॉल को रोशन करते हैं। ये झूमर उस दौर की कारीगरी का बेहतरीन नमूना हैं और आज भी मेहमानों को मंत्रमुग्ध कर देते हैं।
– सना हुआ काँच: महल की खिड़कियों में रंग-बिरंगे सना हुआ काँच (stained glass) लगा है, जो सूरज की रोशनी में इंद्रधनुषी रंग बिखेरता है।
– ग्रैंड सीढ़ियाँ: महल की मुख्य सीढ़ियाँ, जिन्हें ‘ग्रैंड स्टेयरकेस’ कहा जाता है, ग्रीक पौराणिक कथाओं की नौ मूर्तियों (muses) से सजी हैं। हालाँकि, अब इनमें से आठ ही बची हैं, लेकिन इनकी नक्काशी देखते ही बनती है।
– दो टन का पाइप ऑर्गन: बॉलरूम में रखा यह पाइप ऑर्गन दुनिया में अपनी तरह का इकलौता है। इसे हाथ से चलाया जाता है और यह 36 अलग-अलग धुनें बजा सकता है। इसे यूनाइटेड किंगडम में बनवाया गया था।
-101 सीटों वाला डाइनिंग हॉल: फलकनुमा का डाइनिंग हॉल दुनिया का सबसे बड़ा डाइनिंग हॉल माना जाता है, जहाँ 108 फीट लंबी मेज पर 101 मेहमान एक साथ खाना खा सकते हैं। इस मेज की कुर्सियाँ रोज़वुड की बनी हैं और हरे रंग की चमड़े की अपहोल्स्ट्री से सजी हैं।
महल का हर कोना इतना खूबसूरत है कि यहाँ हर कदम पर आपको शाही ठाठ का अहसास होता है। चाहे वह वॉलनट की लकड़ी से बना लाइब्रेरी का छत हो, जो विंडसर कैसल की लाइब्रेरी की नकल है, या फिर फ्रिस्को पेंटिंग्स से सजा स्टेट रिसेप्शन रूम, हर चीज़ में बारीकी और भव्यता झलकती है।
शाही मेहमानों का ठिकाना

फलकनुमा पैलेस अपने निर्माण के बाद से ही शाही मेहमानों का पसंदीदा ठिकाना रहा है। यहाँ कई बड़े नामों ने कदम रखा, जिनमें शामिल हैं:
– किंग जॉर्ज पंचम और क्वीन मैरी: ब्रिटिश शाही जोड़े ने इस महल में रुककर इसकी भव्यता का लुत्फ़ उठाया।
– ज़ार निकोलस II: रूस के अंतिम सम्राट ने भी यहाँ मेहमाननवाज़ी का आनंद लिया।
– राष्ट्रपति राजेंद्र प्रसाद: 1951 में भारत के पहले राष्ट्रपति यहाँ ठहरे, जो इस महल के आखिरी बड़े मेहमान थे, क्योंकि इसके बाद यह महल धीरे-धीरे उपेक्षा का शिकार हो गया।
-आधुनिक मेहमान: 2010 में ताज ग्रुप द्वारा बहाली के बाद, यहाँ इवांका ट्रंप, आगा खान IV और नरेंद्र मोदी जैसे नामी लोग ठहरे हैं।
ताज फलकनुमा की कहानी
1950 के दशक के बाद फलकनुमा पैलेस की हालत खराब होने लगी। सातवें निज़ाम, मीर उस्मान अली खान और उनके पोते मुकर्रम जाह को इस महल में खास दिलचस्पी नहीं थी। महल की दीवारों में दरारें पड़ने लगीं, छत से पानी रिसने लगा और आसपास की ज़मीन पर झुग्गी-झोपड़ियाँ बनने लगीं। लेकिन 2000 में एक नया अध्याय शुरू हुआ, जब ताज ग्रुप ऑफ होटल्स ने इसे लीज पर लिया और इसकी बहाली का ज़िम्मा लिया।

– प्रिंसेस एज़रा की भूमिका: आठवें निज़ाम की पहली पत्नी, प्रिंसेस एज़रा जाह ने इस बहाली की कमान संभाली। उनकी निगरानी में करीब 1000 कारीगरों ने 10 साल तक मेहनत की। हर छोटी-बड़ी चीज़, जैसे टेपेस्ट्री, झूमर और फर्नीचर, को पुरानी तस्वीरों के आधार पर दोबारा बनाया गया।
–न्यूज़ीलैंड से ऊन: महल के कालीनों के लिए न्यूज़ीलैंड से खास ऊन मँगवाया गया और उसे 200 बार रंगा गया ताकि मूल रंगों से मेल खाए।
– 2010 में पुनर्जनन: नवंबर 2010 में ताज फलकनुमा पैलेस को एक लग्ज़री होटल के रूप में फिर से खोला गया। आज यह दुनिया के सबसे शानदार होटलों में से एक है, जिसे कॉन्डे नास्ट ट्रैवलर्स अवॉर्ड्स में दुनिया के टॉप 100 होटलों में शामिल किया गया है।
फलकनुमा का आधुनिक अवतार:
आज फलकनुमा पैलेस सिर्फ एक ऐतिहासिक इमारत नहीं, बल्कि एक जीवंत शाही अनुभव है। ताज ग्रुप ने इसे इस तरह से पुनर्जनन किया है कि यहाँ आधुनिक सुविधाओं के साथ-साथ निज़ामों की पुरानी शान भी बरकरार है।

– 60 कमरे और 22 हॉल: महल में 60 शाही कमरे और सुइट्स हैं, जिनमें से कुछ में निजी बालकनी और गार्डन व्यू है। निज़ाम सुइट, जो एक डुप्लेक्स है, में निजी पूल और जे वेलनेस सर्कल तक खास पहुँच है।
-डाइनिंग का शाही अंदाज़: यहाँ के रेस्तरां, जैसे अदा (हैदराबादी व्यंजन) और सेलेस्टे (इटैलियन और कॉन्टिनेंटल), मेहमानों को शाही भोजन का अनुभव देते हैं। गोल बंगला में नाश्ता और साउथईस्ट गार्डन में प्राइवेट डिनर का इंतजाम होता है।
-जेड टेरेस और हुक्का लाउंज: जेड टेरेस पर हाई टी का मज़ा लें, जहाँ से शहर का खूबसूरत नज़ारा दिखता है। हुक्का लाउंज में माहोगनी की सजावट और कॉकटेल्स का अनुभव आपको पुराने ज़माने में ले जाता है।
-स्पा और वेलनेस: जे वेलनेस सर्कल में आयुर्वेदिक ट्रीटमेंट्स और योग सेशन उपलब्ध हैं, जो मेहमानों को शारीरिक और मानसिक सुकून देते हैं।
– सांस्कृतिक अनुभव: यहाँ सूफी संगीत की महफिलें, पर्ल और इत्र की प्रदर्शनी और पैलेस टूर आयोजित होते हैं, जिनमें इतिहासकार आपको निज़ामों की कहानियाँ सुनाते हैं।
फलकनुमा की खासियतें:
फलकनुमा पैलेस को खास बनाने वाली कई चीज़ें हैं, जो इसे दुनिया के बाकी महलों से अलग करती हैं:
-दुनिया की सबसे लंबी डाइनिंग टेबल: 108 फीट लंबी यह मेज 101 मेहमानों को एक साथ बैठाने की क्षमता रखती है। इसकी क्रिस्टल और गोल्ड की कटलरी आज भी मेहमानों को हैरान करती है।
– विंडसर कैसल की नकल वाली लाइब्रेरी: यहाँ की लाइब्रेरी में अंग्रेजी, उर्दू और फारसी में दुर्लभ किताबों और पांडुलिपियों का संग्रह है। इसका वॉलनट छत और नक्काशी इसे खास बनाती है।
-जेड का अनमोल संग्रह: फलकनुमा में जेड (हरी पत्थर) का संग्रह दुनिया में सबसे बेहतरीन माना जाता है।
– बिलियर्ड्स रूम: यहाँ का बिलियर्ड्स टेबल बकिंघम पैलेस के टेबल जैसा है, जो अपनी तरह का दूसरा टुकड़ा है।
– म्यूज़िकल फाउंटेन: प्रवेश द्वार पर बना फाउंटेन, जिसमें स्वर्गदूतों और डॉल्फिन की नक्काशी है और छत पर बाज के चित्र, मेहमानों को स्वर्गीय अनुभव देते हैं।
हैदराबाद की शान और पर्यटन

फलकनुमा पैलेस सिर्फ एक होटल या महल नहीं, बल्कि हैदराबाद की शान का प्रतीक है। यहाँ से आप शहर के प्रमुख ऐतिहासिक स्थलों जैसे चारमीनार, गोलकुंडा किला और चौमहल्ला पैलेस का नज़ारा ले सकते हैं। महल की ऊँचाई से हैदराबाद का 360 डिग्री व्यू देखने लायक है।
– आसपास के दर्शनीय स्थल:
– चारमीनार: 5 किमी की दूरी पर स्थित यह ऐतिहासिक स्मारक हैदराबाद की पहचान है।
– गोलकुंडा किला: इसकी ध्वनि-प्रकाश शो और ऐतिहासिक कहानियाँ पर्यटकों को आकर्षित करती हैं।
– चौमहल्ला पैलेस: निज़ामों का एक और शाही ठिकाना, जो अब म्यूज़ियम है।
-सालार जंग म्यूज़ियम: दुर्लभ कलाकृतियों का खजाना।
– कैसे पहुँचें: फलकनुमा रेलवे स्टेशन सिर्फ 2.5 किमी दूर है और राजीव गांधी इंटरनेशनल एयरपोर्ट 17 किमी की दूरी पर है। ताज होटल की कारों से 25 मिनट में एयरपोर्ट से यहाँ पहुँचा जा सकता है।
फलकनुमा का सांस्कृतिक महत्व
फलकनुमा पैलेस सिर्फ एक इमारत नहीं, बल्कि हैदराबाद की सांस्कृतिक धरोहर का हिस्सा है। यह निज़ामों की समृद्ध विरासत, उनके कला प्रेम और उनकी शाही जीवनशैली को दर्शाता है। यहाँ की हर चीज़, चाहे वह वास्तुकला हो, खाना हो, या मेहमाननवाज़ी,निज़ामों के उस दौर को जीवंत करती है, जब हैदराबाद दुनिया के सबसे अमीर रियासतों में से एक था।
-फिल्मों में फलकनुमा: इस महल की भव्यता ने कई फिल्मों को भी आकर्षित किया। ‘राधे श्याम’, ‘के.जी.एफ: चैप्टर 2’ और ‘सिकंदर’ जैसी फिल्मों की शूटिंग यहाँ हुई है।
-सांस्कृतिक आयोजन: सूफी संगीत, कव्वाली और हैदराबादी संस्कृति से जुड़े आयोजन यहाँ नियमित रूप से होते हैं, जो पर्यटकों को स्थानीय संस्कृति से जोड़ते हैं।
क्यों घूमें फलकनुमा?
अगर आप इतिहास, वास्तुकला, या शाही अनुभव के शौकीन हैं, तो फलकनुमा पैलेस आपके लिए एक सपनों की दुनिया है। यहाँ ठहरना सिर्फ एक होटल में रुकना नहीं, बल्कि निज़ामों की जिंदगी को जीने का मौका है। यहाँ की मेहमाननवाज़ी, शाही भोजन और ऐतिहासिक कहानियाँ आपको एक अलग ही दुनिया में ले जाएँगी।
– खास अनुभव:
– घोड़ा-गाड़ी में सवारी और फूलों की वर्षा के साथ स्वागत।
– पैलेस टूर, जहाँ इतिहासकार आपको निज़ामों की कहानियाँ सुनाते हैं।
– शाही हैदराबादी व्यंजनों का स्वाद, जो निज़ामों के रसोईघर से प्रेरित हैं।
– जेड टेरेस पर हाई टी, जहाँ से शहर का नज़ारा लाजवाब है।
फलकनुमा पैलेस सिर्फ एक महल नहीं, बल्कि एक जीवंत इतिहास है, जो हर आने वाले मेहमान को शाही मेहमान बनाता है। इसकी दीवारें निज़ामों की कहानियाँ, उनकी भव्यता और उनके सपनों को संजोए हुए हैं। ताज ग्रुप ने इसे न सिर्फ बचाया, बल्कि इसे एक ऐसी जगह बना दिया, जहाँ हर कोई शाही ठाठ का अनुभव कर सकता है। अगर आप हैदराबाद की सैर पर हैं, तो फलकनुमा को अपनी लिस्ट में ज़रूर शामिल करें। यहाँ का अनुभव आपको न सिर्फ हैदराबाद की विरासत से जोड़ेगा, बल्कि आपको एक राजा या रानी जैसा अहसास देगा।